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Short Film Intezaar

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School of basic education face many problem out of which one major problem is of student's regular attendance.  Careless guardians are not attentive towards their wards academic growth. This film shows how they destroy their foundational learning.  Short Film Intezaar

वीर टिकेंद्रजीत सिंह

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 वीर टिकेंद्रजीत सिंह जय हिन्द, साथियों आज आपके लिए अतीत के पन्नों से ऐसी वीरगाथा लाए हैं, जिसे खुद इतिहास ने भुला दिया। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मणिपुर के शेर टिकेन्द्रजीत सिंह जी की। स्वतंत्र मणिपुर रियासत के राजकुमार टिकेन्द्रजीत सिंह, महाराजा चंद्रकीर्ति सिंह और चौंग्थम चानू कुमेश्वरी देवी की चौथी संतान थे। जिनका जन्म 19 दिसंबर 1856 को हुआ था। वर्ष अठारह सौ चौबीस में हुई आंग्ल-बर्मा युद्ध में, मणिपुर ने अंग्रेजों से मदद मांगी और अंग्रेजों ने अपनी मदद दे दी, मगर इसके एवज में अंग्रेजों ने अपना परोक्ष रूप से अधिकार मणिपुर में स्थापित कर दिया।  वर्ष अठारह सौ छियासी में महाराजा चंद्रकीर्ति सिंह की मृत्यु होने पर उनके बड़े बेटे सूर्य चन्द्र सिंह को राजगद्दी मिल गयी और बाकी राजकुमारों को उत्तराधिकारी, सेनापति, पुलिस प्रमुख आदि नियुक्त किया गया। इस बीच अंग्रेजों ने मोटे ब्याज पर मणिपुर के राजा और राजपरिवारों को कर्ज देना शुरू किया, इस तरह वे राज्य पर अपना अधिकार कायम करके चले गए। राजकुमार टिकेन्द्रजीत अंग्रेजों की इस नीति के विरुद्ध थे। दिसंबर अट्ठारह सौ नब्बे में उन्होंने दो अन्य राजकुमार

मरधु बंधु

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  मरधु बंधु   https://youtu.be/gmfm1Fv7x5w आज अतीत के पन्नों से दो ऐसे जुड़वां भाइयों की वीरगाथा लेकर आए हैं, जिन्होंने अपने पराक्रम से बरतानिया हुकूमत को हिलाकर रख दिया था।  हम बात कर रहे हैं दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में जन्में स्वतंत्रता सेनानी पेरियार मरुधु और चिन्ना मरुधु, जिन्हें  मरुधु पांडियार और मरुधु भाई भी कहा जाता है।  इन्होंने आरकोट के नवाब व अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ाई जीती। पेरियार मरुधु और चिन्ना मरुधु, गुरिल्ला युद्ध तकनीक के विशेषज्ञ थे। उन्होंने वल्लारी का आविष्कार किया, एक ऐसा हथियार जिसमें लकड़ी या लोहे के कोण पर दो अंग होते हैं, यह boomerang का एक प्रकार है। इन्होंने इस हथियार का सफलतापूर्वक उपयोग किया। सन 1780 में मरुधु पांडियार ने रानी वैल्यूनचियार को अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ाई जीतने और तमिलनाडु में शिवगंगई राज्य को फिर से हासिल करने में मदद की थी। अंतिम युद्ध की जीत रानी के सेना की महिला विंग कमांडर कुयली द्वारा सुगम की गई थी। इस महिला ने ब्रिटिश गोला बारूद की दुकान में आग की लपटों में खुद को जलाकर अंग्रेजों की गोला बारूद को नष्ट कर दिया। कुयली की कहानी "Saffro
स्कूल क डगरिया मइया बहुते नीक लागे , हमके स्कूल जाए दा दा जाए दा दा । ....2 जाय के पढ़ब हम, लिख ब हम,  हमके स्कूल जाए द। तोहरे ही चरनिया मइया, लिहले आशीष हो, करब नाम रोशन माई-बाबू क जरूर हो। देशवा क नमवा मईया हो..... 2 जाय के पढ़ब हम, लिख ब हम,  हमके स्कूल जाए द। चुल्हवा क धुंहवां मइया,  अखियां के जरावे ला। बाबूजी क फाटल ऐडिया,  करेजवा के फाड़े ला। जिनगी के बदलब मइया.. हो हो....(2) बने द कलेक्टर, हमका स्कूल जाए द। जाय के पढ़ब हम, लिख ब हम,  हमके स्कूल जाए द। गुरु जी क बतिये हमके बड़ा निक लागे, ज्ञान क ज्योति हम सब में जगावे। शिव बन जाब मइया.... हो हो ...(2) बदल देब नसीब, हमके स्कूल जाय द। जाय के पढ़ब हम, लिख ब हम,  हमके स्कूल जाए द। शिवम् सिंह सहायक अध्यापक प्रा०वि०लखेसर

मानव सम्पदा

📌मानव संपदा की फीडिंग में अपनी फीडिंग निम्न लिंक से चेक कर सकते है,,, ehrms.nic.in/ResetPassword/ForgotPassword लिंक ओपेन करने के बाद स्टेट में UTTAR PARDESH डिपार्टमेंट में BASIC EDUCATION DEPARTMENT सेलेक्ट करें।उसके बाद अपना UID no(आधार न) दर्ज करने के बाद Search करें। अगर आपकी फीडिंग हुयी है तो आपका नाम और आपके पिता का नाम show करने लगेगा।

पाठशाला बना मधुशाला

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ये तूफ़ान तू अपनी खेर कर... हम तो लहरें हैं, तेरे आने पे हम और बड़े हो जाते हैं। ये सोच ही है जो हर पल आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। विकट परिस्थितियों में भी हमें लक्ष्य से नही हटना चाहिए। क्योकि सच्चा योद्धा वही है जो रण में डटा रहे। परिषदीय विद्यालय व उसके प्रांगण को अक्सर लोग अपनी गन्दी गतिविधियों को करने का माकूल जगह समझतें हैं। बीवी भाग गयी तो देसी पीने के लिए विद्यालय के कक्षा कक्ष के दरवाजे पे लगे ताले को तोड़केे कमरे में चखने के साथ चार यारों के साथ ग़म बाटलें। ग्रीष्मकालीन अवकाश के पश्चात जब विद्यालय पहुचे तो एक कमरे का ताला तोड़के कुछ लोगों ने पाठशाला को मधुशाला में परिवर्तित कर दिया। प्रथम दिवस विद्यालय पहुँचे तो देखे एक कमरे का ताला टूटा पड़ा है और अंदर शीशियाँ पड़ी हैं। गाँव में भ्रमण करके लोगों को जागरूक किया गया व उनकी विद्यालय के प्रति ज़िम्मेदारी से अवगत कराया गया। मगर लगता है कुछ लोगों ने सोचा होगा क्यों न ज़िम्मेदारी को ही खत्म कर दिया जाये। अगले दिन सर्व शिक्षा अभियान रैली निकालना था, पर ये क्या आज तो कुछ ज्यादा ही नुकसान कर दिया गया। विद्यालय के गेट में लगे छड़ो को

दिमाग की बत्ती जलाओ

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टी०एल०एम्० - दिमाग की बत्ती जलाओ विषय - विज्ञान व् समाज उद्देश् - कर के सीखने से बच्चों को जल्दी याद होता है। किताब में दिए चित्रों को यदि कुछ गतिविधियों से जोड़ दिया जाए तो समझने में आसानी होती है। हँसते खेलते छात्रों का अधिगम सरलता से होता है। सामग्री - 1- साड़ी का डब्बा 2- वायर 3- नोटिस बोर्ड मेटल पिन 4- फेविकॉल 5- सम्बंधित शिक्षण के चित्र 6- मोबाइल बैटरी 7- स्केच पेन 8- सेलो टेप 9- चार्ट पेपर 10- led बल्ब निर्माण विधि - सर्वप्रथम साड़ी के डिब्बे को चार्ट पेपर से कवर कर दें। सम्बंधित चित्रो को डिब्बे पे चस्पा करदें। ध्यान दें की उनके नाम चित्रों के सीध में न हो ताकि छात्रों को दिमाग लगाना पड़े। अब सभी चित्रों और उनके नाम के आगे पिन लगा दें। डिब्बे के पीछे निकले पिन के छोर को वायर से जोड़ दें। चित्र में देखें की किस प्रकार चित्र के सही उत्तर को आपस में एक वायर से जोड़ा गया है। सभी को इस प्रकार से अलग अलग वायर से जोड़ दें। अब मोबाइल के बैटरी को डिब्बे के पीछे टेप से चिपका दें व् उसके धनात्मक व् ऋणात्मक पॉइंट को वायर से जोड़ दें। अब एक वायर डिब्बे के बाहर करलें और एक वायर एल ई