वीर टिकेंद्रजीत सिंह
वीर टिकेंद्रजीत सिंह जय हिन्द, साथियों आज आपके लिए अतीत के पन्नों से ऐसी वीरगाथा लाए हैं, जिसे खुद इतिहास ने भुला दिया। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मणिपुर के शेर टिकेन्द्रजीत सिंह जी की। स्वतंत्र मणिपुर रियासत के राजकुमार टिकेन्द्रजीत सिंह, महाराजा चंद्रकीर्ति सिंह और चौंग्थम चानू कुमेश्वरी देवी की चौथी संतान थे। जिनका जन्म 19 दिसंबर 1856 को हुआ था। वर्ष अठारह सौ चौबीस में हुई आंग्ल-बर्मा युद्ध में, मणिपुर ने अंग्रेजों से मदद मांगी और अंग्रेजों ने अपनी मदद दे दी, मगर इसके एवज में अंग्रेजों ने अपना परोक्ष रूप से अधिकार मणिपुर में स्थापित कर दिया। वर्ष अठारह सौ छियासी में महाराजा चंद्रकीर्ति सिंह की मृत्यु होने पर उनके बड़े बेटे सूर्य चन्द्र सिंह को राजगद्दी मिल गयी और बाकी राजकुमारों को उत्तराधिकारी, सेनापति, पुलिस प्रमुख आदि नियुक्त किया गया। इस बीच अंग्रेजों ने मोटे ब्याज पर मणिपुर के राजा और राजपरिवारों को कर्ज देना शुरू किया, इस तरह वे राज्य पर अपना अधिकार कायम करके चले गए। राजकुमार टिकेन्द्रजीत अंग्रेजों की इस नीति के विरुद्ध थे। दिसंबर अट्ठारह सौ नब्बे में उन्होंने दो अन्य राजकुमार